snake plant in close up photography

नमस्कार दोस्तो! पौधायन में आपका स्वागत है। पिछली बार हमने स्नेक प्लांट से छोटी सी मुलाकात की थी। आज हम इनसे दोस्ती गांठने की कोशिश करेंगे।

Mother-in-law’s Tongue (Dracaena trifasciata)

दोस्तो! किसी पौधे की प्रकृति के बारे में जानने के लिए दो बातें पता करनी ज़रूरी हैं। पहली यह कि उसका मूल आवास कहाँ है। क्योंकि जिस जगह और जिन परिस्थितियों में रहकर उसने हज़ारों सालों में ख़ुद को वहाँ के मुताबिक़ ढाला है… अमूमन वैसा ही वातावरण उसके लिए सबसे अच्छा होता है। दूसरी बात यह कि पौधे में नए माहौल में ख़ुद को ढालने की क्षमता कितनी है। इन दो बातों से आप मोटे तौर पर ये पता कर सकते हैं कि वह आपके घर पर जी सकेगा या नहीं। और सिर्फ जियेगा ही कि स्वस्थ और प्रसन्न भी बना रह पाएगा। और अपने घर में उसको हरा-भरा रखने के लिए आपको कितने और किस तरह के प्रयास करने होंगे। स्नेक प्लांट के बारे में भी इन्हीं दो बातों के सहारे हम अपनी समझ बढ़ा सकते हैं।

ये पौधे पश्चिमी अफ्रीका में नाइजीरिया से लेकर कांगो तक प्राकृतिक रूप से देखे जाते हैं। यह पूरा इलाका एकदम सूखा और पथरीला है। इस कारण ये पौधे भयंकर गर्मी और सूखा सहन करने के आदी हो चुके हैं। पर इनके साथ एक अच्छी बात है कि ये हर तरह के माहौल में ख़ुद को ढालने में माहिर हैं और लगभग हर तरह की मिट्टी, पानी, धूप और हवा में मजे से रह लेते हैं। इसलिए इन्हें लगाने के लिए आपको अपने घर को नाइजीरिया या कांगो बनाने की ज़रूरत नहीं है।

भले ही आप इन्हें “सास की ज़बान” कह लें पर लक्षण सब इनमें एक आदर्श सुघड़ बहू के हैं। किसी भी मौसम, तापमान और जलवायु में इन्हें लगाया जा सकता है। इसके लिए आपको सिर्फ़ दो बातों का ख़ास ख़याल रखना है।

पानी

पहली बात तो ये कि इनमें पानी कम देना है। मोटी पत्तियों वाले ये पौधे सक्युलेंट यानी रसदार पौधों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए जाहिर है कि इन्हें पानी की ज़रूरत काफ़ी कम होती है। पानी तभी दें जब गमले की मिट्टी पूरी तरह से सूख जाए। पर जब भी पानी दें खूब अच्छी तरह से दें; तब तक जब तक कि पानी गमले के नीचे बने छेद से बाहर न निकलने लगे।

Sansevieria Boncel (Dracaena angolensis/Sansevieria cylindrica)

मौसम

दूसरी ज़रूरी बात जो आपको ध्यान रखनी है वो यह कि आपका घर अगर ऐसी जगह पर है जहाँ सर्दी के मौसम में तापमान काफ़ी कम हो जाता है और बर्फ़ गिरती है या पाला पड़ता है, तो ऐसे में इन्हें बाहर खुले में नहीं रखना है बल्कि किसी उजाले वाली जगह में छाया में रखना है। गर्म जगह में रहने वाले ये पौधे कम तापमान तो सह जाते हैं पर पाला या बर्फ़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करते। यही कारण है कि उष्ण कटिबन्धीय जगहों (tropics) में जहाँ सर्दी के मौसम में भी तापमान ज्यादा नहीं गिरता वहां लोग आमतौर पर इन्हें घर के बाहर लगाते हैं और शीतोष्ण (temperate) जलवायु में रहने वाले लोग इनको इनडोर प्लांट के तौर पर घर के अन्दर रखते हैं।

धूप

इनके बारे में कुछ और भी बातें हैं जिनका ध्यान रखना पौधे की सेहत के लिए अच्छा रहेगा। जैसे कि इन्हें खुली धूप खूब भाती है पर रहने को ये हर तरह की रोशनी में रह लेते हैं। यहाँ तक कि लगभग अंधेरे वाली जगह में रखने पर भी बुरा नहीं मानते। हालांकि लगातार बहुत कम रोशनी वाली जगह में रहने पर इनकी बढ़त काफ़ी कम हो जाती है और कई बार पत्तियाँ पतली और कमज़ोर होकर झुक जाती हैं या लटक जाती हैं।

इस परेशानी से बचने के लिए आपके पास दो रास्ते हैं। या तो आप इन्हें हर कुछ दिन में धूप दिखाते रहिए (महीने में 4 से 5 दिन हल्की धूप दिखाना काफ़ी होगा) या फिर इन्हें ग्रो लाइट में भी रख सकते हैं। ग्रो लाइट दिखने में आम एल ई डी लाइट बल्ब जैसे ही होते हैं पर इनसे निकलने वाले प्रकाश में वे सभी वेव्लेंग्थ्स होती हैं जिनका उपयोग पौधे अपना खाना बनाने यानी प्रकाश संश्लेषण के लिए कर सकते हैं। इस तरह की लाइट काफ़ी हद तक इनकी धूप और उजाले की ज़रूरतों को पूरा कर देती है और पौधा कम रोशनी में भी हरा बना रहता है।

सूखा बर्दाश्त कर सकने वाले और पौधों की तरह ही स्नेक प्लान्ट भी दिन में पत्तियों की सतह से होने वाले वाष्पीकरण को रोकते हैं। इसलिए प्रकाश संश्लेषण के लिए ज़रूरी गैसों का आदान-प्रदान ये रात में ही कर लेते हैं। यही कारण है कि इनसे रात में भी ऑक्सीजन मिलती है। तो बेडरूम में इन्हें रखने से इतना तो तय है कि सोते समय आपको थोड़ी ज़्यादा ऑक्सीजन मिलेगी।

मिट्टी

पानी कम चाहने वाले पौधों के लिए आमतौर पर रेतीली मिट्टी अच्छी होती है। अगर आपके पास रेतीली मिट्टी नहीं है तो आप चिकनी मिट्टी में ही थोड़ी सी रेत और कुछ छोटे-छोटे कंकड़ या बजरी मिलाकर भी आप इनके लिए बढ़िया मिट्टी तैयार कर सकते हैं। रेत या बजरी भी न मिल सके तो दोमट या चिकनी या जो भी मिट्टी आपके पास हो उसमें ही इन्हें लगा सकते हैं बशर्ते पानी ज्यादा न होने पाए।

sansevieria kubwimana
Sansevieria kubwimana

गमला

इनके लिए किसी ख़ास तरह का गमला भी नहीं चाहिए। सीमेंट, मिट्टी, सिरेमिक, लकड़ी, पत्थर, प्लास्टिक या किसी भी तरह का कोई भी गमला हो ये उसमें मजे से रहते हैं। बस एक बात का ध्यान रखना है कि जिस भी गमले में इसे लगाया है उसमें पानी निकलने के लिए नीचे ड्रेनेज होल ज़रूर हो। नहीं तो पानी गमले में इकठ्ठा होने से पौधा सड़ जाएगा। किसी सजावटी धातु या मेटल के गमले में अगर इन्हें लगाना हो जिसमें ड्रेनेज होल न हो, तो उसमें इन्हें सीधे मत लगाइए बल्कि किसी होल वाले साधारण गमले में लगाकर गमले समेत उसके अन्दर रख दीजिए।

इन्हें पानी में भी लगाया जा सकता है। पानी में लगाने पर ये सड़ेंगे नहीं उल्टे इससे एक फायदा ये होगा कि पानी ज्यादा या कम होने की चिंता से आपको पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा। इसके लिए आपको किसी बोतल या जार या किसी भी कंटेनर में इसकी जड़ों को डुबाकर रख देना होगा। फिर हर 10 से 15 दिन में उस कंटेनर का पानी बदल देना होगा। पानी में रखने पर इनकी बढ़त धीमी हो जाती है तो अगर चाहें तो थोड़ी सी तरल खाद भी पानी में मिला सकते हैं।

…और खाद

आमतौर पर इन्हें खाद की ख़ास कोई ज़रूरत नहीं होती क्योंकि वैसे भी ये बहुत आराम- आराम से बड़े होते हैं और उसके लिए जरुरी पोषण इन्हें पानी से ही मिल जाता है। फिर भी अगर पौधा कमज़ोर लग रहा हो या उसके बढ़ने का मौसम हो तो थोड़ी खाद देना अच्छा रहता है। इससे पौधा स्वस्थ भी बना रहेगा और उसकी बढ़त भी अच्छी होगी। सर्दी के मौसम में डोरमैन्ट रहने के बाद बसंत के मौसम में इनमें नई बढ़त शुरू होती है। तो उस समय आप कोई भी बैलेन्स्ड खाद बहुत कम मात्रा में इन्हें दे सकते हैं (जितना पैकेट में लिखा हो उसका एक चौथाई )।

सिर्फ इतनी सी देखभाल ही आपके स्नेक प्लांट को खूब ख़ुश बनाए रखने के लिए बहुत काफ़ी है। इनकी संख्या कैसे बढ़ाएं और इनमें कोई परेशानी हो तब क्या करें अपनी अगली मुलाकात में हम यही जानने की कोशिश में करेंगे।

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