पौधायन की पाठशाला

पौधे लगाना क्यों ज़रूरी है

green leafed plants

नमस्कार दोस्तो! पौधायन में आपका स्वागत है। इधर आप और हम साथ मिलकर अपने हरे-भरे साथियों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। कौन कितनी धूप बर्दाश्त कर लेगा, किसको कितना पानी चाहिए होगा, कौन छाया नहीं सह पाएगा, किसे अंधेरे में डर नहीं लगता और किसको किस तरह की मिट्टी और गमला पसंद है, इस सबके बारे में हम यहाँ बात करते रहेंगे।

दोस्तो हम इंसान बड़े स्वार्थी किस्म के होते हैं। हम वही काम करते हैं जिसमें हमें अपना फायदा नज़र आता है। तो बाग़वानी शुरू करने से पहले भी इससे होने वाले नफे-नुकसान के बारे में थोड़ी सी चर्चा कर लेना ज़रूरी है।

हममें से कई लोग सोचते हैं कि बाग़वानी हम क्यों करें या हम ही क्यों करें! हमें तो ये काम बिल्कुल पसंद नहीं। इसके लिए बहुत मेहनत, समय और धैर्य की ज़रूरत है। मेहनत हम करना नहीं चाहते, धैर्य की कमी है हममें और समय तो हमारे पास है ही नहीं। पौधे-वौधे लगाने का काम वही लोग करें जिन्हें इसका शौक है या वो करें जिनका ऐसा प्रोफेशन है। मसलन…. किसान करें, बाग़-बगीचे वाले लोग करें या कृषि वैज्ञानिक करें… बॉटनी यानी वनस्पति विज्ञान के विद्यार्थी और प्रोफेसर करें या फिर सरकार करे क्योंकि सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह सड़क के किनारे पेड़ लगाए, पार्क बनवाए, उद्यान बनवाए और जंगलों की कटाई रोके। कुछ लोग यह भी सोचते हैं कि हम जिस कॉलोनी या सोसाइटी में रहते हैं वहाँ की कम्यूनिटी और वहां का आरडब्ल्यूए ये सब काम करे। हमारे साथ तो ऐसा कोई केस है नहीं जिसके लिए हमको ख़ुद बाग़वानी करने की ज़रूरत हो।

ऐसी सोच रखने वाले सभी लोगों से मेरा सवाल है कि क्या आप अपने घर में फ्रिज रखते हैं? या क्या आपके घर में ए.सी. लगा हुआ है? आपके पास किसी तरह की मोटर बाइक या मोटर कार है जो पेट्रोल या डीज़ल से चलती हो? या फिर क्या आप रोज़मर्रा की सबसे ज़रूरी चीज़ बिजली का प्रयोग किसी भी काम के लिए करते हैं? अगर इनमें से एक भी सवाल का जवाब हाँ में है तो आपको अपने घर में और अपने आस-पास पौधे रखने ही चाहिए। और यह आपके लिए वैकल्पिक नहीं बल्कि बिल्कुल ज़रूरी है। क्योंकि ऐसी सभी चीज़ों का प्रयोग करके आप पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। तो उसकी भरपाई भी आपको ही करनी पड़ेगी। और अगर आप अभी समय रहते ही ऐसा नहीं करेंगे तो कल को आपकी आने वाली पीढ़ियाँ अपना-अपना पौधा और अपने हिस्से की ऑक्सीजन अपनी पीठ पर ढोएंगी! आपको मजाक लग रहा है? आपके बाप-दादों को भी मजाक ही तो लगता था जब कोई साफ़ पानी को बोतल में बेचने की बात करता था!

क्या आप जानते हैं कि ए.सी. और फ्रिज में जिन गैसों को कूलैंट यानी ठंडा करने के माध्यम के तौर पर प्रयोग किया जाता है वे ऐसी खतरनाक ग्रीनहाउस गैसें हैं जिनमें धरती की गर्मी बढ़ाने की क्षमता कार्बन डाई ऑक्साइड से कई हज़ार गुना ज़्यादा है! जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने! यही नहीं गाड़ियों में जो ईंधन आप प्रयोग करते हैं उसके जलने से कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड, लेड, बेंजीन, हाइड्रोकार्बन और पार्टिकुलेट मैटर यानी कई साइज़ के कण निकलकर हवा में फैल जाते हैं जो नाना प्रकार की बीमारियों का कारण बनते हैं। हवा प्रदूषित होने से फेफड़े खराब हो जाते हैं, कैंसर होता है, किडनी, लीवर, हार्ट और आंखों के बहुत सारे रोग पनपते हैं। इसी तरह बिजली बनाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयला जलाया जाता है या बांध बनाये जाते हैं। इन पावर प्लांट्स से भी कई तरह की ग्रीनहाउस गैसें और पार्टिकुलेट मैटर वगैरह निकलते हैं जिनसे हवा तो प्रदूषित होती ही है आस-पास के पानी के स्रोत भी प्रदूषित हो जाते हैं।

और ये सब सिर्फ वो चीज़ें हैं जिन्हें आप व्यक्तिगत तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। आपने अपने लिए अपने घर में फ्रिज लगाया हुआ है। आप कम्यूनिटी किचन में तो खाना नहीं खा रहे! घर पर खा रहे हैं। आपके घर के हर कमरे में ए.सी. है या सेंट्रलाइज़्ड ए.सी. भी है। घर में जितने लोग हैं उससे ज्यादा तो गाड़ियॉं हैं। और इस सबके लिए आपका एक्सक्यूज़ क्या है कि हमारे जीवन के लिए ये सब ज़रूरी है या फिर वही घिसी-पिटी लाइन कि आज के समय में ये सब लग्ज़री नहीं नेसेसिटी है।

तो लग्ज़री क्या है फिर? ऑक्सीजन? या उसको बनाने वाले पेड़-पौधे जो सिर्फ शौकीनों या प्रोफेशनल्स को लगाने चाहिए! इसका जवाब भी आपको ही खोजना है। और इससे पहले कि ऑक्सीजन इतनी बड़ी लग्ज़री बन जाए कि आप उसे अफोर्ड भी न कर सकें, आपको इन हरे-भरे साथियों को अपने घर में जगह देनी होगी। क्योंकि विज्ञान बिना ऑक्सीजन के जीने का कोई तरीका खोज ले या धरती में जितने लोग हैं उनकी ज़रूरत भर ऑक्सीजन किसी लैब या फैक्ट्री में बना सके, ऐसा कम से कम आने वाले दो-ढाई सौ सालों में तो नहीं होने वाला। तब तक के लिए आपको इसी पुराने पेड़-पौधे वाले तरीके से अपनी ऑक्सीजन की ज़रूरतों को पूरा करना होगा।

तो ये सब फायदे या यूं कहें ज़रूरतें हैं बाग़वानी करने की। पर इसके नुकसान भी बहुत सारे हैं- मसलन आपका कीमती समय नष्ट हो जाएगा। दूसरे मिट्टी वगैरह से आपका घर गंदा हो जाएगा। मच्छर और कुछ कीड़े-मकोड़े पनप सकते हैं। हो सकता है बालकनी में चिड़ियाँ आने लगें या घर खुली जगह में है तो गिलहरियाँ भी आने लग जाएं। अब देखिए समय नष्ट होने वाली बात तो बिल्कुल सही है। पानी देंगे, पौधों का रख-रखाव करेंगे तो समय तो लगेगा ही। पर क्या आपको पता है कि कई सारे शोध ये साबित करते हैं कि बाग़वानी करने वाले लोग उन लोगों से तेरह साल तक ज़्यादा जीते हैं जो बाग़वानी नहीं करते। और इसके बड़े ऑबवियस से कारण हैं। गार्डनिंग से तनाव, अवसाद, गुस्सा, दुःख जैसी समस्याओं से तो निजात मिलती ही है हरी साग-भाजियों में रुझान भी बढ़ता है। आस-पास की हवा साफ रहती है तो फेफड़े और दिल दोनों ख़ुश रहते हैं। ताज़ी हवा और प्राकृतिक माहौल में बाकी बीमारियां भी कम घेरती हैं। आपने देखा होगा कि गंभीर बीमारियों के मरीज़ों को डॉक्टर अक्सर हवा-पानी बदलने की सलाह देते हैं। मतलब कि अगर लॉन्ग रन में देखा जाए तो इससे आपका समय ख़राब होने की काफ़ी हद तक भरपाई हो जाएगी।

जहाँ तक घर गंदा होने की बात है तो थोड़ा सा ध्यान रखकर और कुछ आसान से उपाय अपनाकर इस समस्या से बचा जा सकता है। चिड़ियाँ और गिलहरियाँ घर के अंदर नहीं आतीं… बालकनी या छत या लॉन गार्डन में ही उछल-कूद मचाती हैं और इनसे माहौल खुशनुमा ही होता है पर आपको अगर इनसे परेशानी है तो सुबह शाम घर की खिड़कियाँ बंद कर दें। रही बात मच्छर या कीड़े-मकोड़ों की तो उनसे बचने के लिए घर के बाहर खुलने वाले खिड़की-दरवाज़ों में जाली लगा सकते हैं। मॉस्कीटो रेपेलेंट्स प्रयोग किये जा सकते हैं और कुछ ऐसे पौधे भी लगाए जा सकते हैं जिनसे मच्छर और कीड़े-मकोड़े दूर रहते हैं। इस सबके बारे में हम आगे भी बात करते रहेंगे।

तो दोस्तों बाग़वानी करने के जो भी फायदे या नुकसान हों उन सबको जाने दीजिए सबको नज़र-अन्दाज़ कर दीजिए क्योंकि उनके विकल्प हो सकते हैं। पर इनसे मिलने वाली ऑक्सीजन का तो कोई विकल्प ही नहीं है इसलिए आप सिर्फ और सिर्फ ऑक्सीजन और साफ हवा के लिए भी इन्हें लगाइए। एअर प्यूरीफायर में पैसे लगाने की जगह घर में प्राकृतिक माहौल बनाइए।

जहाँ भी हो सके.. जैसे भी बने.. जो भी और जितने भी लगा सकें.. पौधे लगाइए। लॉन में, गार्डन में, छत में या कुछ नहीं तो बेडरूम, बाथरूम या किचन में ही सही, ज़मीन न हो तो गमले में लगाइए और गमले की जगह भी न हो तो बोतल में ही सही, मिट्टी न हो तो पानी में सही, कुछ और न बन पड़े तो तुलसी, एलोवेरा या पुदीना ही सही.. पर लगाइए ज़रूर और अपने आस-पास की जगह को हरा-भरा बनाए रखिए।

बाग़वानी शुरू करने और सीखने के लिए पौधायन में पधारते रहिए! अपनी अगली बातचीत में हम ये देखेंगे कि बाग़वानी शुरू करने से पहले क्या करना है और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी कि क्या नहीं करना है।

तब तक के लिए नमस्कार!

Hi, I’m paudhayan

प्रातिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!
hi_INहिन्दी

Discover more from पौधायन

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading