सबसे साधारण और सबसे ज़रूरी सवाल जो बाग़वानी को लेकर अक्सर हमारे दिमाग में आता है कि इसे किस मौसम में शुरू करें। इसका जवाब जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि कई बार पौधायन शुरू करने का अपना इरादा हम सही मौसम के इंतज़ार में टालते रहते हैं। या फिर बेमौसम पौधे ख़रीदकर ले आते हैं जिससे वे जल्दी ख़राब हो जाते हैं, ठीक से फलते-फूलते नहीं या मर जाते हैं और फिर बाग़वानी को लेकर हमारे अन्दर जो मोटिवेशन था वो धीरे-धीरे ठंडा पड़कर ख़त्म होने लगता है। इससे बचने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि पौधायन शुरू करने का सही समय क्या है और किस मौसम में कौन से पौधे लगाएं जिससे हमारा घर-आंगन साल भर हरा-भरा बना रहे।

अगर एक लाइन में कहना हो तो मैं यही कहूँगी कि अपना पौधायन बनाने और शुरू करने का सबसे अच्छा समय आज अभी और इसी वक़्त है। मतलब… आप कभी भी… किसी भी मौसम में… किसी भी तरह से (बीज, पौधा, गाँठ, टहनी या कलम)… इसे शुरू कर सकते हैं। लेकिन…

अगर आप इस काम के लिए बिल्कुल नए हैं तो कोशिश कीजिए कि बहुत ज़्यादा गर्मी, बहुत ज़्यादा सर्दी या बहुत ज़्यादा बारिश के समय कोई भी नया पौधा मत लगाइए। जब मौसम सामान्य और तापमान औसत हो और हवा में नमी का स्तर बहुत ज़्यादा या कम न हो तब पौधे लगाइए। ऐसा करने से बहुत कम देख-रेख में भी पौधों के जिन्दा और ख़ुश रहने की उम्मीद काफ़ी बढ़ जाती है।

जब भी आप अपना पौधायन शुरू करें तो एक बात ज़रूर याद रखें कि उस समय के मौसम, तापमान और नमी के स्तर के मुताबिक़ ही अपने पौधों का चुनाव करें। ये उतना मुश्किल भी नहीं है जितना सुनने में लग रहा है। थोड़े से अनुभव से आपको पता चल जाएगा कि कौन से पौधे को किस समय लगाना बेहतर रहेगा। तब तक के लिए मेरे अनुभव से काम चलाइए।

कुछ पौधे मौसमी होते हैं जो किसी ख़ास मौसम में रहते हैं फिर 2-4 महीने के बाद फूल-फल और बीज देकर विदा हो जाते हैं। मौसमी फूलों-फलों और सब्जियों के छोटे झाड़ीनुमा पौधे या बेलें ज्यादातर इसी तरह के होते हैं। इन पौधों को उनके मौसम के एकदम शुरूआती दिनों में खरीदना बेहतर होता है। इससे उन पौधों को अच्छी तरह पनपने और बढ़ने के लिए खूब समय मिल जाता है। जैसे अगर आपको सर्दी के मौसम वाले फूल खरीदने हैं तो उन्हें सर्दी की शुरुआत के ठीक पहले खरीदिए… तब, जब बारिश ख़तम हो चुकी हो, हवा में नमी कम हो और सर्दी बस आने को हो यानी पतझड़ का मौसम… अपने यहाँ अक्टूबर का महीना। सर्दी के पौधे, बीज, डालें या गांठें इस मौसम में ले आइये। जैसे फूलों में सेवंती, कैलंचो, ज़िनिया, पिटुनिया, गेंदा, गुलाब वगैरह और सब्ज़ियों में गाजर, चुकन्दर, मूली, पालक, गोभी, बैंगन, आदि आदि। सर्दी आने तक ये खूब अच्छे और हरे भरे हो जाएँगे और पूरे मौसम भर फलते-फूलते बने रहेंगे। जनवरी के बाद सर्दी के पौधे मत खरीदिए। क्योंकि उस समय ये पौधे फलों-फूलों से लदे तो ज़रूर होंगे पर उनकी मियाद काफ़ी कम रह गई होगी। फिर फ़रवरी जाते-जाते वो फूल-पत्तियाँ कम करना शुरू कर देंगे और अपनी सारी ऊर्जा बीज बनाने में खर्च करके मर जाएँगे।

यही बात हर मौसमी पौधे के लिए याद रखनी है। जहाँ तक हो सके गर्मी के पौधे गर्मी की शुरुआत से ठीक पहले और सर्दी के पौधे सर्दी की शुरुआत से ठीक पहले लाने और लगाने हैं।

कुछेक पौधे ऐसे भी होते हैं जो रहते तो साल भर हैं पर उनके फलने-फूलने का एक ख़ास समय और मौसम होता है। इन पौधों को आपको पूरे साल बचाकर रखना होता है और इनके हवा-पानी का ध्यान रखना होता है फिर जैसे ही मौसम इनके अनुकूल होता है वैसे ही इनमें नए फूल या फल आने शुरू हो जाते हैं। जैसे दसबजिया के पौधे सर्दी में बस जिन्दा बने रहते हैं या कभी-कभार एक आध फूल निकालते हैं और गर्मी आते ही उनमें भर-भर कर फूल आने शुरू हो जाते हैं। रेन लिली का पौधा बारिश होने पर खिलता है बाकी पूरे साल बस हरा बना रहता है वो भी अगर उसको ठीक से पानी मिलता रहा तो! वरना बारिश के बाद अपनी सारी पत्तियाँ झाड़ कर ज़मीन में बस गाँठ बनकर बैठ जाता है। ऐसे ही कैलंचो और गुलदाउदी सर्दी में खूब खिलते हैं  पर गर्मी आने पर मरते नहीं सिर्फ़ फूल देना बंद कर देते हैं। आम गर्मी में फलता है और अमरूद सर्दी में। इस तरह के पौधों को भी इनके फलने-फूलने वाले मौसम की शुरुआत में लाना ही अच्छा होता है। बेमौसम लाने पर आपको इन्हें फूलते-फलते देखने के लिए काफ़ी इंतज़ार करना पड़ सकता है। या फिर घर पर कृत्रिम रूप से इनके अनुकूल माहौल बनाना पड़ेगा जो कि काफ़ी खर्चीला और जहमत भरा काम है।

इसके अलावा कुछ पौधे बारहमासी भी होते हैं जो किसी भी मौसम में फल सकते हैं किसी भी मौसम में खिल सकते हैं। जैसे सदाबहार, केला, पपीता, अनन्नास, शरीफा वगैरह। वैसे तो इन्हें किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है बशर्ते मौसम के मुताबिक़ इनकी सही देखभाल की जाए। पर अगर आप बागवानी सीखने के शुरूआती दौर में हैं तो अच्छा यही होगा कि इस तरह के पौधों को सर्दी गर्मी के बीच वाले मौसम यानी बसंत या पतझड़ में लगाएं जब तापमान चरम पर न हो। क्योंकि तब इनके बचे रह जाने की संभावना ज्यादा होगी और ये थोड़ी सी देखरेख में भी ख़ुश रह लेंगे।

ये तो फल-फूल और सब्ज़ियों की बात हुई जिनके मौसम के बारे में जानना आसान है। सिर पर खिले फूल और फलों से झुकी इनकी शाख़ें चीख़-चीख़ कर बताती हैं कि देखो यही हमारा मौसम है… यही हमारा ज़माना है! जितना देखना हो देख लो अभी… छू लो… और प्यार कर लो हमें…. क्योंकि इसके बाद तो हमें पौधायन के किसी कोने में फेंक दिया जाएगा। और हम परित्यक्त और उपेक्षित अपने ख़ुद के अस्तित्व को नकारते अगले मौसम के इंतज़ार में खड़े रहेंगे।

असल समस्या उन पौधों को लेकर होती है जिनमें फूल-फल नहीं आते या आते भी हैं तो बहुत ख़ास या दर्शनीय नहीं होते। ऐसे सजावटी किस्म के पौधों और फर्न्स को उनकी आकर्षक रंग-बिरंगी पत्तियों या अलग आकार-प्रकार के लिए घरों में लगाते हैं। ये पौधे भी कई क़िस्म के और अलग-अलग मौसम और तापमान में ख़ुश रहने वाले होते हैं।

इनके बारे में मोटे तौर पर ऐसे समझिये कि जिन पौधों को ज्यादा पानी पसंद है उन्हें बारिश में लगाना अच्छा रहता है। जैसे कैलाडियम के पौधे और तरह-तरह के फर्न्स जो बारिश में भरपूर पत्तियाँ देते हैं। या लिली की किस्में जो बारिश में खिलती हैं और अरबी के पौधे जिसके पत्तों की पकौड़ियाँ बारिश के मौसम को और करारा बना देती हैं। इन सबको गर्मी के आखिरी दिनों में लाइए (ठीक उसी समय जब आप गर्मी से अकुलाकर मानसून को गूगल की मदद से ट्रैक करना शुरू करदेते हैं) और गमले की मिट्टी या ज़मीन में दबा दीजिए। फिर बारिश में ये खूब भरेपूरे हो जाएंगे और सर्दी आने तक या इनमें से कुछ तो गर्मी तक भी ख़ुश बने रहेंगे।

ऐसे पौधे जो धूप और पानी की औसत मात्रा पसंद करते हैं जैसे क्रोटन, कोलियस, चाइनीज़ एवरग्रीन, डम्ब केन, कैलाथीया वगैरह; वे आमतौर पर सर्दी के मौसम में खूब ख़ुश रहते हैं क्योंकि उस समय हवा में नमी साल में सबसे कम होती है तो सड़ने का खतरा नहीं होता और धूप इतनी तेज़ नहीं होती कि पत्तों को बदरंग कर दे या जला दे। धूप तेज़ न होने से पानी का वाष्पीकरण भी कम होता है और सप्ताह में दो बार पानी देना भी काफ़ी होता है।

इन पौधों को बारिश ख़तम होने के बाद से लेकर बसंत के मौसम तक कभी भी लगा सकते हैं। ऐसी जगह में जहाँ सर्दी में तापमान बहुत गिर जाता हो और बर्फ़ या पाला पड़ता हो वहां आप इन्हें बसंत (मार्च) में लाइये। और ऐसी जगहों पर जहाँ गर्मी भीषण पड़ती हो वहाँ इन्हें पतझड़ (अक्टूबर) में लगाना अच्छा होता है। ये साल भर खूब भरे रहते हैं पर सर्दी में इन्हें पाले और बर्फ़ से बचाना ज़रूरी है और ज्यादा गर्मी में भी इनका ख़ास ख़याल रखना पड़ता है । तो अगर मौसम के हिसाब से इनकी देखभाल कर सकें तो साल में कभी भी इन्हें लगाया जा सकता है।

ये बात दीगर है है कि ऐसे बारहमासी पौधों के बढ़ने और फूल देने या नए पौधे बनाने का भी एक निश्चित मौसम और समय होता है (हाँ, अगर आप विषुवतीय क्षेत्र के निवासी हैं जहाँ साल भर लगभग एक जैसा ही मौसम रहता है तो अलग बात है)। तो अगर आपका पौधा महीनों तक उतना ही बड़ा बना रहता है जितना आप उसे नर्सरी से लेकर आए थे तो समझिये कि उसका मौसम नहीं आया है या फिर उसको सही मात्रा में हवा पानी नहीं मिल रहा। इसलिए ऐसे पौधों को यदि उनकी बढ़त या नए पौधे बनाने के सही मौसम में नहीं लगाया गया तो कई बार थोड़ी सी निराशा हाथ लग सकती है।

कैक्टस और सकुलेंट्स सबसे आसान पौधे माने जाते हैं पर ज्यादा बारिश या सर्दी वाली जगहों पर उनका भी बहुत ध्यान रखना पड़ता है। ये पौधे सर्दी में डोरमैण्ट हो जाते हैं मतलब इनकी बढ़त बिल्कुल रुक जाती है। इसलिए इन्हें लगाने का सबसे अच्छा मौसम बसंत का है। जब सर्दी ख़तम हो चुकी हो और गर्मी बस आने को हो… अपने यहाँ मार्च का महीना। उस समय इनकी बढ़त शुरू हो रही होती है। अगर आप ऐसी जगह में हैं जहाँ तापमान गर्मी में 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाता है तो इन्हें गर्मी में बिल्कुल मत खरीदिए क्योंकि फिर इन्हें एडजस्ट करने का समय नहीं मिलेगा और अगर पानी देने का तारतम्य थोड़ा भी बिगड़ा तो ये गर्मी में भी सड़ जाएँगे। जी हाँ सही सुना आपने! अगर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया तो कैक्टस गर्मी में भी सड़ते हैं बल्कि गर्मी में ज्यादा सड़ते हैं। इसलिए कैक्टस और सक्युलेंट्स को बसंत के मौसम में लाएं। इससे पौधे को अपने नए माहौल से तालमेल बिठाने का समय मिल जाएगा और आपको भी पानी और धूप की उसकी ज़रूरतों का थोड़ा अन्दाज़ा हो जाएगा।

तो दोस्तों इस तरह आपने देखा कि मौसमी पौधों को उनके मौसम की बिल्कुल शुरुआत में लगाना चाहिए। बारहमासी पौधों को कभी भी लगा सकते हैं। और अगर किसी नए पौधे को लेकर संदेह हो या उसके सही मौसम का पता न हो तो उसे सम तापमान वाले मौसम यानी बसंत या पतझड़ में लगाइए।

Hi, I’m Paudhayan

One Comment

प्रातिक्रिया दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

error: Content is protected !!
hi_INहिन्दी

Discover more from पौधायन

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading